ये और बात हैं
हमारी आंखों के नूर है जो
उनके नजरों कर्म के हम काबिल नहीं ,ये और बात हैं
मैं वही तुम वही चाहत भी वही
दिल खोल कर कभी हम मिलते नहीं , ये और बात हैं
तेरी खुशी के सिवा कभी कुछ मांगा नहीं
तेरी चाहत के सिवा कभी कुछ चाहा नहीं ,ये और बात है
...
उनके नजरों कर्म के हम काबिल नहीं ,ये और बात हैं
मैं वही तुम वही चाहत भी वही
दिल खोल कर कभी हम मिलते नहीं , ये और बात हैं
तेरी खुशी के सिवा कभी कुछ मांगा नहीं
तेरी चाहत के सिवा कभी कुछ चाहा नहीं ,ये और बात है
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