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तुम्हारा जिक्र है हरदम🍁
तुम्हारा जिक्र है हरदम
मालूम है कोई रिश्ता नहीं
फिर भी फ़िक्र है हरदम
कैसे कह दूं वास्ता नहीं अब
अच्छा सा लगता है मुझे अब भी ये भ्रम
मालूम है रास्ता नहीं टकराएगा कभी
फिर भी राह तकती हूं तुम्हारी कसम!
कोई नहीं समझ पाएगा इस दिल का ज़ख्म
हर रोज़ मेरे दर्द को जानती है बस मेरी कलम
© Diksha Rathi🌻
मालूम है कोई रिश्ता नहीं
फिर भी फ़िक्र है हरदम
कैसे कह दूं वास्ता नहीं अब
अच्छा सा लगता है मुझे अब भी ये भ्रम
मालूम है रास्ता नहीं टकराएगा कभी
फिर भी राह तकती हूं तुम्हारी कसम!
कोई नहीं समझ पाएगा इस दिल का ज़ख्म
हर रोज़ मेरे दर्द को जानती है बस मेरी कलम
© Diksha Rathi🌻
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