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बीस विदेह तीर्थंकर भक्ति
पंचम काल में फसे हुये है
कर्मो ने डेरा डाला है
बीस तीर्थंकर दर्शन पाऊँ
यह अभिलाषा हमारी है
भूल हुई थी मुझसे भगवान
कर्मो ने यहाँ पर पटका है
मिथ्यात्व अपनाया मैने
अब सम्यक् को पाना है
पहले सीमंदर जिन जिन बन्दों
दूजे युगमंदर देव जी
तीसरे बाहुजी जिन जिन बंदों
चौथे सुबाहु देव जी
एक विदेह में एक तीर्थकर
बीस अरहंत विराजे है
वर्तमान में तुम तीर्थकर
सबने शीश झुकाये है
भूल ————-
पाँचवे संजात जिन जिन बंदों
छँटवे स्वमप्रभ देव जी
सातवें ऋषभानन जिन जिन बंदों
आठवे अनन्तवीर्य देव जी
काल नहीं बदलता यहाँ पर
चौथा काल ही रहता है
हर समय तीर्थकर विराजे
मोक्ष मिलता रहता है
नोवे सूरप्रभ जिन जिन बंदों
दशवें विशालकीर्ति देव जी
ग्यारवे बृजधर जिन जिन बंदों
बाहरवे चंदानन देव जी

केवल ज्ञान से निकली वाणी
सबने ज्ञान को पाया है
विदेह क्षेत्र के जीवों का तुमने
तुमने उध्दार कराया है
भूल ——
तेरवे भ्रदबाहु जिन जिन बंदों
चोदवें भुंजगम देव जी
पंद्रवे ईश्वरजी जिन जिन बंदों
सोहलवे नेम प्रभ देव जी
नूतन नित प्रति ध्यावे तुम्हें
कलिकाल मेने पाया है
हम भी साक्षात दर्शन पावे
ऐसी अति अभिलाषा है
भूल —-
सत्तवे वीरसेन जिन जिन बंदों
अठारहवे महाभद्र देव जी
उन्नीस वे देवयश जिन जिन बंदों
बीसवे अजित वीर्य देव जी
पंचम काल ——