यादों के झरोखों से
कल उलझ पड़ीं उंगलियां मेरी
मेरे ही विचारों से,
विचारों ने कहा लिखो ना,
उंगलियों ने कहा आदेश तो दो।
डूब गए विचार मेरे, मेरी सोच की सागर में,
और गढ़ने लगे शब्दों को,ढूंढ ढूंढ कर।
एक जो शख्स है,निरंतर बढ़ता अपने राहों पर,
अपने अतित को भी ढूंढता रहा,
और कुछ लोग अपनी जिंदगी से लड़ते रहे।
कुछ लोग अपनी जिंदगी सँवारते रहे,और
कुछ अपनी जिंदगी के सँवरने का गुरुर पालते रहे।
कहते हैं कि कितना भी...
मेरे ही विचारों से,
विचारों ने कहा लिखो ना,
उंगलियों ने कहा आदेश तो दो।
डूब गए विचार मेरे, मेरी सोच की सागर में,
और गढ़ने लगे शब्दों को,ढूंढ ढूंढ कर।
एक जो शख्स है,निरंतर बढ़ता अपने राहों पर,
अपने अतित को भी ढूंढता रहा,
और कुछ लोग अपनी जिंदगी से लड़ते रहे।
कुछ लोग अपनी जिंदगी सँवारते रहे,और
कुछ अपनी जिंदगी के सँवरने का गुरुर पालते रहे।
कहते हैं कि कितना भी...