...

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क्या है सुख?
क्या खाते की लम्बी संख्या है सुख,
या ऊंचे मकान चार पहिया है सुख?
क्या महंगे कपड़ों में लिपटा है सुख,
या बड़ी बाजारों में बिकता है सुख?

क्या स्वार्थ की खातिर अंधा प्रेम है सुख,
या वासना की खातिर बस देह है सुख?
शराब की बोतल में बिकता है सुख,
या गोश्त की दुकान में तुलता है सुख?

सबको नीचा दिखाना है सुख,
या खुद को ऊंचा बताना है सुख?
हीरे मोती खजाना है सुख,
या खून की नदिया नहाना है सुख?

गर यही है परिभाषा सुख की ,
तो भईया क्यों हर कोई कहता
मैं ही सबसे दुखी।।

ध्रुव
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