...

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पहली बार
उस रात ज़ज़बात और तुम कुछ अजीब थे ,
साथ पहले भी थे , पहली बार हम करीब थे ।

वो तेरा बंदिशों को तोड मुझे मजबूर करना ,
आगोश में भर, पूरी रात एक पल ना दूर करना।

जाने कितनी दफा तुझपे तूफान सवार होता,
मेरे अंदर भी सैलाब, पर होठो पर इनकार होता ।

तेरी मनमर्जिया के आगे कहा टिक पाते
मेरी हया को तेरी खुसबु हवा में उड़ाते।

वो इश्क था ,या तड़प थी , या कोई तलब ,
बंदगी बढ़ी इतनी, बन गए थे मेरा मजहब ।

वक्त बदला हम तुम बदले , बदला अपना संसार ,
सुबह के शबनम सी शर्मा जाऊं,
अब भी सोचू जब वो "पहली बार" ।
© mukesh_syahi
#firsttimelove
#erotica