उम्र की उदासी
जो कभी आंखों के तारे थे,
आज वही आखें दिखाते हैं,
जिन्हें बोलना था सिखलाया,
वही हमें अब चुप कराते हैं।
जिन्हें चलना था सिखलाया,
वही हमें सलीका सिखाते हैं।
जिन्हें थपकी ...
आज वही आखें दिखाते हैं,
जिन्हें बोलना था सिखलाया,
वही हमें अब चुप कराते हैं।
जिन्हें चलना था सिखलाया,
वही हमें सलीका सिखाते हैं।
जिन्हें थपकी ...