...

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मैं
हाँ! सही हैं ये मैं किसी एक की होकर नहीं रह सकती,
फितरत में मेरी हैं हरदम रंग बदलना,
पहेला रंग लिया मैने दूलार का,
माँ-पापा ने दिया उस प्यार का,
नाज़ो में रही मैं उसीमें पली-बढ़ी,
भैया की मेरे थी में छोटी सी परी,
बचपन युं ही बिता चढ़ा रंग जवानी,
चढ़ी रोम-रोम में नई सी एक ऱवानी,
राजकुमार कोई आने लगा सपनो में,
उस अनज़ाने को गिनने लगी अपनो में,
ले जाए मुज़को वो चांद की ड़ोली लाए,
प्यार देके अपना वो दूल्हन मूज़े बनाए,
दिन...