अहसान
बहुत समझाया था मैने इसको,नादान ये दिल समझता कहां था
अहसान तुम्हारा जो तुमने बताया,कि तुमको मुझसे ...मोह़ब्बत नही है
फिर पूरा कसूर इस दिल को भी क्या दू़ं,था कितना त़न्हा.. कैसे बता दूं
कभी तो इसने ख्वाहिशें की थी,और मैने भी तो हामी भरी थी
मगर जानता था ज़माना है शातिऱ ,यहां आशिकों को रहमत़ नही है
अहसान तुम्हारा जो तुमने बताया,कि तुमको मुझसे... मोह़ब्बत नही...
अहसान तुम्हारा जो तुमने बताया,कि तुमको मुझसे ...मोह़ब्बत नही है
फिर पूरा कसूर इस दिल को भी क्या दू़ं,था कितना त़न्हा.. कैसे बता दूं
कभी तो इसने ख्वाहिशें की थी,और मैने भी तो हामी भरी थी
मगर जानता था ज़माना है शातिऱ ,यहां आशिकों को रहमत़ नही है
अहसान तुम्हारा जो तुमने बताया,कि तुमको मुझसे... मोह़ब्बत नही...