...

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सच्चा वाला इश्क हुआ है
इस अजनबी और अजीब दुनिया में,
प्यारा सा एक दोस्त मिला था,
प्यारी-प्यारी बातें करके मेरा ग़म हर लेता था,
ग़म में डूबी मेरी शामों में,
कितने ही रंग नए भर देता था,
धीर आँखें और घुंगराले बालोंवाला,
बड़ी सुंदर बातें करता था,
उसे पता था दिल टूटा है मेरा,
हर बार कुछ-कुछ जोड़ के जाता था,
अँधेरी मेरी ग़मों की दुनिया से,
खींच के वापस लाता था,
"क्यों करते हो यह सब, कौन हो मेरे तुम?"
पूछने पर मेरे मुस्कुराकर कहता...