ye Khel kya h.....
मिरे मुख़ालिफ़ ने चाल चल दी है
और अब
मेरी चाल के इंतेज़ार में है
मगर मैं कब से
सæफेद ख़ानों
सियाह ख़ानों में रक्खे
काले-सफ़ेद मोहरों को देखता हूँ
मैं सोचता हूँ
ये मोहरे क्या हैं
अगर मैं समझूँ
कि ये जो मोहरे हैं
सिर्फ़ लकड़ी के हैं खिलौने
तो जीतना क्या है हारना क्या
न ये ज़रूरी
न वो अहम है
अगर ख़ुशी है न जीतने की
न हारने का ही कोई ग़म है
तो खेल क्या है
मैं सोचता हूँ
जो खेलना है
तो अपने दिल में यक़ीन कर लूँ
ये मोहरे सचमुच के बादशाहो -व॰जीर
सचमुच के हैं प्यादे
और इनके आगे है
दुश्मनों की वो...
और अब
मेरी चाल के इंतेज़ार में है
मगर मैं कब से
सæफेद ख़ानों
सियाह ख़ानों में रक्खे
काले-सफ़ेद मोहरों को देखता हूँ
मैं सोचता हूँ
ये मोहरे क्या हैं
अगर मैं समझूँ
कि ये जो मोहरे हैं
सिर्फ़ लकड़ी के हैं खिलौने
तो जीतना क्या है हारना क्या
न ये ज़रूरी
न वो अहम है
अगर ख़ुशी है न जीतने की
न हारने का ही कोई ग़म है
तो खेल क्या है
मैं सोचता हूँ
जो खेलना है
तो अपने दिल में यक़ीन कर लूँ
ये मोहरे सचमुच के बादशाहो -व॰जीर
सचमुच के हैं प्यादे
और इनके आगे है
दुश्मनों की वो...