...

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जाने-दो..!
#जाने-दो..!
जाने दो जो चला गया,
मृगछालों से जो ठगा गया।
बेवक्त जो वक्ता बना गया,

वहीं तो जिंदगी भर रहेगा,
जो आज भी अपनों से दूर रहेगा।

उम्र बीती दिन यादों में बिताने से,
वक़्त नहीं थमता, बस गुज़रता रहता है।
अब ना जाने कौन से राह पर चला जाए,
हर किसी को अपनी अपनी मंज़िल मिल जाए।

दुनिया की भीड़ में खो जाने से पहले,
अपनी आवाज़ एक बार तो बुलंद कर जाए।
ना थके, ना रुके, बस चलते रहें हम,
ये ज़िंदगी हमारी है, इसे हम जीते जाएं।

हर कदम पर आसमान हमारे साथ हो,
हर चुनौती हमें आगे बढ़ने का साहस दे।
बेवक्त जो वक्ता बना गया,
उससे कह दो, जाने दो जो चला गया।

अगली राह मिले या न मिले,
हमें चलते रहना है, जीते जाएं ये जिंदगी।
कभी रुके नहीं, कभी थके नहीं,
बस चलते रहें, इसी तरह हम जीते जाएंगे।
© Shristi