...

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अनकही बातें
पहली बार तुमने मुझे छुआ था ,
पहली बार मै किसी के करीब आई थी।

तुम्हारे होठ मेरे होठों को छूते....
उससे पहले डर ने उन्हें छुआ था,
इसी वजह से शायद....
तुम्हारे होठों ने मेरे सर को पहले छुआ था।

मेरे दिल की बढ़ती धड़कन....
तुमने सुन ली थी,
शायद इसी वजह से....
मेरा सर तुमने सहलाया था।

मेरे माथे का पसीना....
मेरी हालत बयां कर रहा था,
शायद इसी वजह से....
तुमने अपना रुमाल निकाला था।

तुम मेरे करीब आ रहे थे....
और मै तुमसे दूर जा रही थी,
शायद इसी वजह से....
तुमने दो कदम का फ़ासला रखा था।

मैं अपनी....
गिरती चुनरी को संभाल रही थी,
शायद इसी वजह से....
तुमने सर पर ओढ़नी उढ़ाई थी।

मेरे आंखों की हया....
मेरी झुंकी पलके बता रहीं थी,
शायद इसी वजह से....
तुमने अपनी आंखो को बंद किया था।

मै अभी तैयार नहीं....
ये बोलना चाहती थी,
शायद ये बात....
तुमने बिना बोले ही सुन ली थी,
इसलिए उस रात....
तुम ज़मीं और मैं बिस्तर पर सोई थी।

उस रात तुम बिना बोले ही....
बहोत कुछ कह गए थे,
और मेरे बिना कुछ बोले ही....
बहोत कुछ समझ गए थे।

उस रात पहली बार....
किसी ने मेरी रूह को छुआ था,
उस रात पहली बार....
मै किसी के करीब आना चाहती थी,
और इस....
अनजान रिश्ते को निभाना चाहती थी।

-दिव्या चौधरी