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छुपाकर रखना चाहती हूं
तेरे हर एहसास को छुपाकर रखना चाहती हूं
तेरी आंखों की चमक का राज होना चाहती हूं
झलक आए जो छोटा सा कतरा आंसू उस खुशी का राज होना चाहती हूं
नहीं चाहिए फूलों की माला मुझसे आई तेरे चेहरे पर मुस्कान की झलक चाहती हूं
तेरे सीने से लिपट आई वो बेफिक्री की नींद में सोना चाहती हूं
तेरे हर एहसास को छुपाकर रखना चाहती हूं
श्याम की ठंडी हवा सी तुझ संग बेफिक्र उड़ना चाहती हूं
तेरे हाथों में हाथों को समेटे सुकून से चलना चाहती हूं
तेरे हर गम हर तकलीफ से बेखौफ लड़ना चाहती हूं
अपनी कामयाबी के हर क़दम तेरे साथ बढ़ना चाहती हूं
तेरे हर एहसास को छुपाकर रखना चाहतीं हूं।
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अंजली राजभर