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बाल्लम्मा की सुहागरात
पापा की परि हू मै
पेहली रात की चूदायी से डरी हू मै
सारी जिन्दगी मुझे ना किसी ने छुआ
सोचकर उसका बड़ा लंड मांगती हू दुआ
ना आज तक मैने कभी खाया ऐसा केला
उसकी हवस की आंखें देखकर लगता है ना उसने भी कभी पेला
बडी आस लगाये बैठा है की कब मै उठाऊँगी टाँगे
मन ही मन देखके मेरि गांड मांगे
अब तोह मुझे भी रहा नही जाता निकल रहा पानी
देके अपनी चुत रात भर चुदवानि
चाहती हू की रात भर चाटे मेरा वोह चुत
और पलते रहे मुझे बिस्तर मे मजबूत
आयेगा मजा जब तोड़ेगा पलंग
और हो जाऊ उसके दही मे नहाके मलन्ग

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