बाल्लम्मा की सुहागरात
पापा की परि हू मै
पेहली रात की चूदायी से डरी हू मै
सारी जिन्दगी मुझे ना किसी ने छुआ
सोचकर उसका बड़ा लंड मांगती हू दुआ
ना आज तक मैने कभी खाया ऐसा केला
उसकी हवस की आंखें देखकर लगता है ना उसने भी...
पेहली रात की चूदायी से डरी हू मै
सारी जिन्दगी मुझे ना किसी ने छुआ
सोचकर उसका बड़ा लंड मांगती हू दुआ
ना आज तक मैने कभी खाया ऐसा केला
उसकी हवस की आंखें देखकर लगता है ना उसने भी...