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जिंदगी के उतार - चढ़ाव (भाग-2)
कभी लगता है ये सब खत्म हो जाए काश ये एक खेल हो,
कभी लगता है क्या है इसके बाहर सब यहीं है काश ये सब कभी खत्म ना हो।
कितनी रंग - बेरंग है जिंदगी,
कभी शोला तो कभी सबनम है ज़िंदगी।
कभी दिल चाहता है छोड इसे हो जाएं कहीं विलीन,
तो कभी दिल कहता है जिंदगी है कितनी हसीन।
असमंजस में है दिल के अच्छी है या बुरी जिंदगी,
बाधाओं में पली, विकारों में ढली इतनी है बिता दी तो कुछ ही और बची जिंदगी।

:क्या हुआ जो इतने दर्द दिए उतने ही सबक भी तो है दिए।
: नहीं कोसो जिंदगी को इतना, एक बार मुर्दों की जिंदगी की अहमियत उनके ताल्लुकातों से पूछकर देखो।
:भली है चाहे बुरी है, पर हमारी है
जिस दिन निकल जाएगी हाथ से, ये दुनिया ही नहीं हमारी है।
: सो जो जिंदगी के बाद करना है वो जिंदगी में ही कर लो। छोड़ो दुनिया को अपने लिए जी लो।

stay happy,live happy bcoz happiness is the only tool to survive in this world.
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