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प्रेम और प्रार्थना
PREEET


प्रेमी झुकता है तो दिल मे प्रेम पैदा होता है
और ध्यानी झुकता है तो प्रार्थना पैदा होती है
प्रेम हो या प्रार्थना दोनो परमात्मा तक ले जाते है यही एक मार्ग है आत्मा को परमात्मा तक ले जाने का प्रेम या प्रार्थना । दोनो एक ही महाशुन्य पर पहुँचते है । कोई अटुट प्रेम
करने वाला मिले तो जीवन सार्थक बन जाता है । PREEET यही नियम है प्रेम और प्रार्थना कभी भी कंही भी किसी भी प्रकार से हो सकते है यही विधि का विधान है । दिल मे जयादा गुरूर रख कर आगे बढना मूर्खता है
पागलपन है सभी को साथ लेकर चलने से PREEET
रस्ते अपने आप मिल जाते है ।
अकेला प्राणी अकसर भटकता रहता है विभिन्न प्रकार के रूप लेकर ऐस धरा
पर आता है । यह मिट्टी का जिस्म
एक दिन मिट्टी हो जाना है ।
मुट्ठी बांधे जन्म लिया हाथ पसारे जाना है
इस धरा का इसी धरा पर सब धरे का धरा रह जाना है ।
अत एक कदम बढाये प्रेम की और परमात्मा की और । इस मोह से मोक्ष को प्राप्त् करें ।
दिल मे वैर भाव को समाप्त करें । नफरत मिटे प्रेम बढे ।।