...

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जिस राह पर मै चला.....

" जिस राह पर मैं चला"

जिस राह पर मैं चला था , उस राह का क्या! हाल कहूं..
क्या! फूलों के मै ज़ख्म गिन्नाऊ , क्या! हाथो का मलाल कहूं...
क्या! कह दू उस बादल को पागल , जो उम्मीद पे मेरी बरसा था,
ना देखे मेरे डगमगाते कदम , ना किस्मत को देख वो तरसा था,
क्या! आंखो के आशु छुपाऊ , क्या! भीतर पड़ा सवाल कहूं,
जिस राह पर मै चला था, उस राह का क्या! हाल कहूं......
क्या! कह दू हौसले बाकी नहीं, बिन...