हम मिलेंगे तुमसे
कभी गीतों के बोल में,
कभी स्याही के घोल में,
या गुनगुनाओगे जब कभी हमारे तराने;
बंद हो जाए अगर हमारी आँखें,
हम मिलेंगे तुमसे इसी बहाने।
होगे जब भी हमारी यादों में...
कभी स्याही के घोल में,
या गुनगुनाओगे जब कभी हमारे तराने;
बंद हो जाए अगर हमारी आँखें,
हम मिलेंगे तुमसे इसी बहाने।
होगे जब भी हमारी यादों में...