...

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तेरे क़दमों के निशान...
तेरे क़दमों के निशान मेरी देहलीज़ तक है,
शायद कोई बात जो तेरे सीने में दफ़न है;

कुछ कहना मुझसे चाहती पर मन में इनकार है,
मेरे जज़्बातों का सैलाब मांगता सिर्फ़ इज़हार है;

मेरे अरमानों को तेरी ज़ुबां से वो लफ़्ज़ सुनने है,
जो लड़को की ज़िंदगी में बहुत कम नसीब होते है;

कोई भी कश्ती लहरों के बिना किनारे नहीं पोहोंचती है,
कुछ कांटो की चुभन फूलों से भी ज़्यादा आराम देती है;

मेरे हर अल्फ़ाज़ का आग़ाज़ तुमसे है,
बस दिल के पहले पन्ने पर आने की देर है।

© Shabbir_diary

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#valentinesday