तेरे क़दमों के निशान...
तेरे क़दमों के निशान मेरी देहलीज़ तक है,
शायद कोई बात जो तेरे सीने में दफ़न है;
कुछ कहना मुझसे चाहती पर मन में इनकार है,
मेरे जज़्बातों का सैलाब मांगता सिर्फ़ इज़हार है;
मेरे अरमानों को...
शायद कोई बात जो तेरे सीने में दफ़न है;
कुछ कहना मुझसे चाहती पर मन में इनकार है,
मेरे जज़्बातों का सैलाब मांगता सिर्फ़ इज़हार है;
मेरे अरमानों को...