कुछ तो ज़रूरी है...🌼🍀✨
नया साल , नई मंजिलें
नए सफ़र में शिकायतें कम
और आपसी समझ ज़रूर होनी चाहिए ...
कम चुनी गई राह में
मुश्किलें तो होंगी ही
लेकिन समाधान ढूँढने के
प्रयास ज़रूर होने चाहिए ...
आरोप - प्रत्यारोप
कमज़ोर इंसानियत का प्रतीक है
अपनी गलतियों को
स्वीकारना और सुधारना
ज़रूर होना चाहिए
आत्म दंभ ले जाता है
पतन की ओर मनुष्य को
समय - समय पर आत्मविश्लेषण
ज़रूर होना चाहिए...
© संवेदना
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