...

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मेरी अंतिम यात्रा
हँसते खेलते हुये एक दिन इस दुनिया से चले जाना है
ये दुनिया तो मेरे लिये मात्र बस एक मुसाफिर खाना है

जिस दिन यह साँसे और दिल की धडकन रुक जायेगी
उस दिन इस भवसागर से मेरी भी डोली उठाई जायेगी

लकडी का विमान बनेगा सफेद चादर औढाई जायेगी
घरवालों के नयनन से आँसूओ की गंगा बहाई जायेगी

चार जने मिल कर उठायेगे फिर विमान पर ले जायेगे
राम नाम सत्य है कि आवाज सभी मिल कर लगायेगे

फुलो की बरसात होगी चंदनइत्र से काया महक उठेगी
मुझको इसकी खबर ना होगी घर से दूर लेकर जायेगे

ऊपर लकडी नीचे लकडी होगी उस पर मुझे लेटायेगे
अंतिम घडी का प्रणाम करके मेरे तन मे आग लगायेगे

धुं धुं कर मेरी ये काया जलेगी अंत मे राख हो जायेगी
क्रियाकर्म करेगे मेरा मुझे गरुण पुराण सुनाई जायेगी

बारह दिन तक याद रखेगे फिर सब मुझे भुल जायेगे
मेरी पत्नी कुछ दिन रोयेगी आखिर मै चुप हो जायेगी

मेरे शब्द ही मेरी पहचान बनेगे कलम चुप हो जायेगी
कोरे कागज पर बिखरी ये स्याही मेरी गाथा सुनायेगी

एक था "मनु" लिखता था कभी गजल कविता कहानी
अब उसकी जिंदगी की किताब की भी खत्म हुई कहानी

"दिल की कलम" यहाँ वहाँ गुम होकर गुमनाम हो गई
एक लेखक के अल्फाज की आवाज भी शांत हो गई

मनु 10.01.20

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