दीद
तुम तक जातीं राहें मेंरी
मंजिल वहीं ठिकाना मेरा,
नरक भी लगता जन्नत जैसा
हो जाता जब आना तेरा,
रहें सजी ये राहें...
मंजिल वहीं ठिकाना मेरा,
नरक भी लगता जन्नत जैसा
हो जाता जब आना तेरा,
रहें सजी ये राहें...