...

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दीद
तुम तक जातीं राहें मेंरी
मंजिल वहीं ठिकाना मेरा,

नरक भी लगता जन्नत जैसा
हो जाता जब आना तेरा,

रहें सजी ये राहें मेरी
तेरी नजरों के गुलदस्ते से,

आखें तेरी मरहम जैसी
मेरे दर्द लगे हैं सस्ते से,

सजदा तेरा मन्नत जैसा
मन ये धरे किनारा तेरा,

नरक भी लगता जन्नत जैसा
हो जाता जब आना तेरा I

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