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तन से इतर मन से मुस्कुरा पाते
मुझे याद है
आपको भी याद है
ये मुझे पता है
मैं भूला नहीं
उनका मुझसे
वो पहली बार टकराना।
मैं भूला नहीं
उनका मुझे सहसा गले लगाना।
मैं भूला नहीं लबों से
चाकलेट खाना।
मैं भूला तो वो भी नहीं
जब बिना मेरी चाहत के
मेरी चाह की ख़बरों का
बाजार में छा जाना।
पर क्या फर्क पड़ता है।
ये सब बातें तो बेमानी है।
मतलब की बात तो
किसी के दिल में अपने
सोच और कर्म से प्यार जगा पाना
और उस प्यार को आदर से संभाल
दरकते रिश्तों के बाजार में दूर तक ले जाना
पर काश ! हम ये समझ पाते
और तन से इतर मन से मुस्कुरा पाते।
- डॉ. जगदीश राव
© All Rights Reserved
आपको भी याद है
ये मुझे पता है
मैं भूला नहीं
उनका मुझसे
वो पहली बार टकराना।
मैं भूला नहीं
उनका मुझे सहसा गले लगाना।
मैं भूला नहीं लबों से
चाकलेट खाना।
मैं भूला तो वो भी नहीं
जब बिना मेरी चाहत के
मेरी चाह की ख़बरों का
बाजार में छा जाना।
पर क्या फर्क पड़ता है।
ये सब बातें तो बेमानी है।
मतलब की बात तो
किसी के दिल में अपने
सोच और कर्म से प्यार जगा पाना
और उस प्यार को आदर से संभाल
दरकते रिश्तों के बाजार में दूर तक ले जाना
पर काश ! हम ये समझ पाते
और तन से इतर मन से मुस्कुरा पाते।
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