...

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दर्द मालूम हो तो, दवा ढूंढ लेंगे।
इतना जोर से दिया झटका मोहब्बत में।
चकना चूर हुआ दिल मेरा, कम वक्त में।
नादान थे हम, तुम्हारे बहकावा में आ गए।
जो ना चाहत तुमसे थी, वो हम पा गए।
कैसे सहता रहूं मैं, और कैसे किसी को बताएंगे।
दर्द मालूम हो तो,.......….........।।




नज़रिया अलग- अलग थी तुम्हारी।
पर तुम थी सुंदर नारी।
हमें चाहत नहीं थी , तुम्हें अपनाने को।
जिद में तुम थी , हर वक्त मुझे सताने को।
कैसे किसी को बताए अपनी बातें, अब तो कहना पाएंगे।
दर्द मालूम हो तो,...................।।




विश्वास नहीं था तुम पर, तुम ऐसा करोगी।
हमें अलग करके , तुम दूसरों के हो जाओगी।
सीसा समझा दिल को तुमने, जो तोड़ दिया।
झूठे समझी वो वादे तुमने, जो ना किया।
बढ़ रहा है दर्द इसी चोट से, हम कैसे सह पाएंगे।
दर्द मालूम हो तो,................।।



कल इरादे पक्का था तुम्हारी , अपना समझा था।
हम भी तुमसे प्यार करते थे, ओर अपना कहता था।
चाह दूसरों पर थी तुम्हारी, निगाहें हम पर थी।
कहीं बेवफ़ा ये बन ना जाए,
तुम्हारे दिल की धड़कने हमें बताती थी।
अब उसको हम क्या बताएंगे, जो फिर से हमें रुलाएंगे।
दर्द मालूम हो तो,...................।।



© writer manoj kumar💔❤️