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अंजाना सफर
अंजाना सफर शुरू हुआ है
अंजाना रास्ता मालूम पड़ा है
पता नहीं कहां पहुंचना है अब
पर एक अनजाना सा सुकून झूम उठा है

कदम बढ़ने से लगे हैं
पांव थिरकने से लगे हैं
होश चमकने से लगे हैं
सुरंगे झांकने सी लगी है
तैयारियां जुड़ने सी लगी है
यारियां छुटने सी लगी है
पर जो भी हो जैसा भी हो
कुछ अजनबी सा होने लगा है

जो शब्द में भी बेशब्द है
जिस पे मेरा ना अंकुश है
जो मुझ में ही कहीं खुश है
नैया जिसकी डूबकर तैर चली है
शब्द गूंजकर कानो तले...