...

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आजाद परिंदा
वो जो रह सकता है मेरे बिना
मुझे नहीं लगता निभा सकता है

मैने वो परिंदा आजाद कर दिया
वो कहीं भी आ जा सकता है

वो जो थोड़ी सी तकलीफ में
तालुकात तोड़ गया
किसी बड़ी बात पर
जहर भी पिला सकता है

मेरा रंग तो सामने है
मैं तो दिल का काला हूं
वो सफेद दिल पर
कोई भी रंग लगा सकता है

अब भी उसे इश्क मेरा
जिन्दा लगता है
तो बेशक वो मुझ मुर्दे को
दफना सकता है

मेरी नज्म में उसका हिस्सा
इतना ही था " दीप "
अब वो अपना गीत किसी बाग में
गुनगुना सकता है

मैने वो परिंदा आजाद कर दिया है
अब वो कही भी आ जा सकता है


© दीप