शायरी और शायर
शायरी मिली शायर को महबूब खो कर आया
जो भी आया इश्क के रस्ते से वो रो कर आया
के अब तो होती है बरसात तो लगती कतरा है
मैं अपना वजूद यूं अश्कों में हूं डूबो कर आया
रूह...
जो भी आया इश्क के रस्ते से वो रो कर आया
के अब तो होती है बरसात तो लगती कतरा है
मैं अपना वजूद यूं अश्कों में हूं डूबो कर आया
रूह...