@lockdown (सहर है कैसा)
जिंदगी शाम सी ढली, फिर ये है सहर कैसा,
सलाखों में सुलगती जिंदगी हो दोपहर जैसा।
कदम उसके उठे, दो चार बढ़ने को बड़े आतुर,
किसे...
सलाखों में सुलगती जिंदगी हो दोपहर जैसा।
कदम उसके उठे, दो चार बढ़ने को बड़े आतुर,
किसे...