घर आओ
भूलके ख़ता मेरी अपनी राह पर आओ
छोड़ो गुस्सा ऐ हमदम सूना सा है घर आओ
बिना तेरे फक्त़ एक रात ही मुद्दत सी गुज़रीं है
बहुत बेताब हैं आँखें कि अब तो तुम नज़र आओ
अरे नांदाँ मोहब्बत में जरूरी ...
छोड़ो गुस्सा ऐ हमदम सूना सा है घर आओ
बिना तेरे फक्त़ एक रात ही मुद्दत सी गुज़रीं है
बहुत बेताब हैं आँखें कि अब तो तुम नज़र आओ
अरे नांदाँ मोहब्बत में जरूरी ...