...

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#आत्मविश्वास #ऐतबार
क्यों नहीं खुद पर ,खुद का ऐतबार तुमको ?
कशमकश हर बातमें ,क्यों है बार बार तुमको ?

कदम अपने क्यों पीछे खींच रहे हो तुम ?
अपने में क्यों अविश्वास सींच रहे हो तुम ?

भरोसा उस 'सर्जक' का क्यों तोड रहे हो तुम ?
इस तरह भगवान से धोखा कर रहे हो तुम !!

याद रखो - सर्वश्रेष्ट रचना जगति की हो तुम !
खुद व्यवहार से अपाहिज क्यों बन रहे हो तुम ?

माना कि हर कदम खड़ा ,संघर्ष कडा है !
फिर भी साहस तुम में अप्रतिम भरा पड़ा है !!

जिम्मेदारीयों का निपटारा क्यों टाल रहे हो तुम ?
बहाने बना इस कदर भगोडे क्यों बन गये हो तुम ?

माना ,कि मुश्किल जरूर है नामुमकिन तो नहीं ?!
जय-पराजय निश्चित एक परिणाम : कायरता तो नहीं ?



© Bharat Tadvi