...

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गलतियाँ अपनी मान लेना...हो सके तो अपने रिश्ते को बचा लेना...
गलतियाँ तो होती हैं सबसे कभी न कभी,
माफी मांग कर सुलझा लेना जल्दी से जल्दी।

सुबह का भूला अगर शाम को घर आ जाए,
तो अच्छा है कि उसे दिल से माफ कर दिया जाए।

ऐसा कोई नहीं जिससे हुआ ना हो कभी कोई पाप,
तो क्यों ना स्वीकार कर गलतियाँ कर ले पश्चाताप।

अपनी भूलों को जो करते हैं मन से स्वीकार,
माफी के हकदार बनते हैं वो, करते हैं सब उनको अंगीकार।

मन, कर्म, वचन याँ वाणी से दुखाया है अगर किसी का दिल,
हाथ जोड़कर माफी...