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हिंदी दिवस और हिंदी भाषा
#हिंदीदिवस की शुभकामनाएं

स्वज्ञान पर अभिमान सिखाती ना कभी।
मातृभाषा वो हिंदी कहते ये ज्ञानी सभी।।

जिसको न निज भाषा हिंदी का ज्ञान।
मातृ भूमि में विचर रहा मृतक समान।।

अविव्यक्ति का हिंदी ही है सुंदर आधार।
कल्पनाओं को मिले शब्दों में रंग हजार।।

अलंकार से रसों का जब होता संयोजन।
मधुरस में घुल भाव सभी करते फिर नर्तन।।

हृदय के हर रूप को शब्द नया आकार देता।
भावनाओं को मन के अंतस्थल तक छू लेता।।

शब्द सुंदर अर्थ गहरे कितना कुछ कह जाते।
गागर में सागर सारा सम्पूर्णता का भर लाते।।

देवों की भाषा प्रिय हिंदी अनमोल इसका ज्ञान।
शब्द रचना में भी परिलक्षित होता जहाँ विज्ञान।।

एक दिवस ही क्यों फिर हिंदी -दिवस मनाये।
गर्व हमें निज भाषा पर स्वाभिमान से अपनायें।।

ऋचा( अनुभूतिदिलसे)
© anubhootidilse