...

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कुछ कमी सी हैं...
आज चांद की रोशनी दबीं दबीं सी हैं
शायद मेरी तरह उसकी भी आँख में नमी सी हैं

सब कुछ मिला मुझे तेरे शहर में मेरे यार
फिर भी ना जाने किसी बात की कमी सी हैं

वो जो कहते हैं कि प्यार नहीं होने देंगे
हमारे इरादो से उनकी धड़कन भी थमी सी हैं

आज देखा जो अंदर से झाँक कर ख़ुद को
दिल-ए-आईने पर ग़मों की गर्द जमी सी हैं

तुम्हारे होंठ की लाली हमे मुतासिर करती हैं
फ़िर आज क्यु तुम्हारे लहजे में इतनी बरहमी सी हैं

तुम्हारे दिल की धड़कन से मेरा दिल बात करता हैं
तुझे मालूम हैं के तेरा दिल मेरे इश्क की सरजमीं सी हैं
© विकास शर्मा