...

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आइना
तोड़ अंग्रेजो की गुलामी की जंजीरें ,
बजाई हमने खूब आजादी की मंजीरे. ।
फिर जकड़ रही हम सब को धीरे-धीरे ,
लूट फरेब भ्रष्टाचार की जंजीरें. ।
क्या थे हम ,क्या हो गए,
देखो दिल के आइने में अपनी अपनी तस्वीरें. ।।