...

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सब कुछ चाहा पर बर्बाद न होना चाहा.....
#WhisperingNature
और सब कुछ बर्बाद।
बताने को और रखा क्या है?
तन्हाइयों का मेला,
और दिल ये अकेला।
तरसाने को और रखा क्या है?
बिन तेरे जीना,
और ज़हर ये पीना।
तड़पाने को और रखा क्या है?
बस तेरी ही कमी,
और आँखों में नमी।
छुपाने को और रखा क्या है?
बेगानो की हस्ती,
मझधार में कश्ती।
डुबाने को और रखा क्या है?
नफरतों का संसार,
फिर भी दिल में प्यार।
लुटाने को और रखा क्या है?
कोई तो हो अपना,
बस ये ही एक सपना।
सजाने को और रखा क्या है?
हाथों में शराब,
टूटा हुआ ख्वाब।
उड़ाने को और रखा क्या है?
हसरतें जब हो पूरी,
कोई क्या समझे मज़बूरी।
दिखाने को और रखा क्या है?
एक छोटी सी भूल,
कि नाम-ए-वफ़ा मुकुल।
मिटाने को और रखा क्या है?
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