...

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हयात
ए हयात तेरी हया की क्या बात कहूं
तू बड़ी मुश्किल सवालों से भरी है
पर अजीब बात ये की
सवाल और मुसीबतों के बगैर
तेरे होने का एहसास,
तुझे जिने का ख़्वाब भी
डगमगाने लगता है....

चल माना तू कभी
कुछ भी कर देती है
कुछ राहे है जो समझ नहीं आती
और कुछ जो आसान हो जाती है
कुछ ऐसे मोड़ जो है ही क्यों समझ नहीं आती
और कुछ इम्तेहान जो अक्सर पड़ते है भारी

ए हयात तू इतनी बेचैन क्यों है
थोड़ा सबर रख तुझे जीने ही
हम सब जन्म लेते है....
चल तू कभी बड़ी जटिल हो उठती है
के सांसे भी रुकने लगती है....
पर जैसे ही सब तू सही करती है
कुछ के लिए बड़ी आसान हो जाती है
और कुछ खुदको वही अंधेरों में खो आते है।

चल इम्तेहान तेरा अलग रहता है
पर तू जंग अपने साथ ही क्यों ठहराती है....
माना तू ख़्वाब दिखाती बहुत है,
के किलकारियों से सवारती है।
ए हयात तेरी हया की क्या बात कहूं
तू बड़ी मुश्किल सवालों से भरी है।।

© KALAMKIDIWANI