latifon ka hai
यह युग कविता का नहीं, लतीफों का है!
गीतों का कोई मोल नहीं आंकेगा
करुणा में इतना व्यर्थ कौन झांकेगा
फूहड़ मजाक तक अगर न तू उतरा, तो-
सड़कों पर बिखरी हुई धूल फांकेगा
तुझको प्रकाश में आना है यदि भाई
छिछले पानी में तैर, छोड़ गहराई
यह युग कविता का नहीं, लतीफों का है!
गीतों का कोई मोल नहीं आंकेगा
करुणा में इतना व्यर्थ कौन झांकेगा
फूहड़ मजाक तक अगर न तू उतरा, तो-
सड़कों पर बिखरी हुई धूल फांकेगा
तुझको प्रकाश में आना है यदि भाई
छिछले पानी में तैर, छोड़ गहराई
यह युग कविता का नहीं, लतीफों का है!