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कैसे लिखूँ तुझ पर
कैसे लिखूँ तुझ पर शब्दों का अभाव लगता है
दोस्त तेरे लिए दिल मे कुछ अलग सा भाव लगता है
मेरी हर खता को शालीनता से स्वीकार किया तुमने
तेरे किरदार का कितना उजला स्वभाव लगता है
तुझे देखकर लगता है इस पथिक को जैसे
तपते सहरा में तू फ़ूलों की छांव लगता है
तेरे लिए शायद कोई शब्द बना ही नहीं होगा
तुझे बनाने मे खुदा का विशेष लगाव लगता है
दोस्त तेरे लिए दिल मे कुछ अलग सा भाव लगता है
मेरी हर खता को शालीनता से स्वीकार किया तुमने
तेरे किरदार का कितना उजला स्वभाव लगता है
तुझे देखकर लगता है इस पथिक को जैसे
तपते सहरा में तू फ़ूलों की छांव लगता है
तेरे लिए शायद कोई शब्द बना ही नहीं होगा
तुझे बनाने मे खुदा का विशेष लगाव लगता है
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