रात सोती क्यों नहीं
रात सोती क्यों नहीं
रात जागती भी तो नहीं
सब यहां मुसाफिर हैं इश्क के
सब यहां काफिर है अपने महबूब के
कोई सो रहे ख्वाबों में तो
कोई जागे आंखों में ख्वाब लिए
रात बोलती है कानों मैं उनकी सर्द...
रात जागती भी तो नहीं
सब यहां मुसाफिर हैं इश्क के
सब यहां काफिर है अपने महबूब के
कोई सो रहे ख्वाबों में तो
कोई जागे आंखों में ख्वाब लिए
रात बोलती है कानों मैं उनकी सर्द...