...

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केशव उठो जरा
केशव, उठो जरा, कुरुक्षेत्र हो आयें।
अनुपस्थिति तुम्हारी, युद्ध की ज्वाला ठंडी कर रही है,
अर्जुन दुर्योधन के गले मिलनेको घड़ी भर रही है।द्रोण को कोचिंग सेंटर की याद सता रही है,
धृतराष्ट्र को गांधारी रणक्षेत्र का हाल बता रही है।भीष्म भयाक्रांत हैं,रात्रि शय्या से, युधिष्ठिर परेशान है अपनी जीभया से
।तुम जो डमी छोड़ गये थे अपनी अर्जुन का सारथी बनाकर
,वो बार बार ले आती है अर्जुन को तीर्थ कराकर। महाभारत करा रहे हो, महाभारत दिखाकर,
कर्ण को सब भान है, की रथ का पहिया जाम है, कोई नहीं लड़ेगा युद्ध जान बुझकर,
बैठे रहेंगे भक्त यूँ हि आँख मुंदकर,
की वेदना हुईं गहरी कलिकाल भारी है
नाथ आप आ जाओ अब तुम्हारी बारी है। रजनीश


© rajnish suyal