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औरतें पागल नहीं होतीं... औरतें आदत होती हैं
"सुबह पांच बजे का अलार्म लगाना हो या
एक्सरसाइज के बाद प्रोटीन शेक देना
चाय में चीनी कितने चम्मच हो
या कॉफी कितनी स्ट्रॉन्ग चाहिए

शर्ट हाथ में चाहिए वो भी इस्तरी की हुई
मैचिंग टाई भी निकाल कर रखनी है
मोज़े और रूमाल हाथ में चाहिए
ओह्ह ! ये फाइल्स और ये टिफ़िन
हाँ ! कार की चाभी देने के साथ एक kiss भी

लंच में लज़ीज़ खाने के साथ अचार की ख़ुशबू
और खीर के साथ में रख दी जीवन की मिठास
साथ ही मोबाईल के नोटिफिकेशन्स में
मीठा कम खाने की भी हिदायत....उफ़्फ़!

शाम को दरवाजे पर ही फाइल्स और
टिफ़िन के साथ ही आधी थकान भी माँग लेना
मनपसंद नाश्ते और चाय के साथ
मुस्कराहट में लिपटा थोड़ा सा सुकून परोस देना

तुम थक कर सोफे पर ही सो जाओ
तो हौले से जूते भी उतार देना
Tv का स्विच ऑफ कर बच्चों को
शोर न करने की सख़्त हिदायत देना

रात को रसोई से फ़ुर्सत पाकर
तुम्हारा ऑन लैपटॉप ऑफ करना
मोबाइल चार्जिंग पर लगाना
सीने पर औंधी पड़ी अधखुली किताब आहिस्ता से हटाना
आँखों से चश्मा हौले से उतार देना

तुम्हें चादर ओढ़ाकर तुम्हारा माथा चूम लेती हैं
तुम्हारी बाँह के तकिए पर सर रखकर थोड़े सपने बुन लेती हैं
सोचकर देखना एक बार...........
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औरतें पागल नहीं होतीं
औरतें तुम्हारी आदत होती हैं.....।"
-मधुमयी © Madhumayi