दर्द -ए-जुदाई
क्या बताएं दर्द-ए-जुदाई में क्या दिल का आलम है,
बाहर में भी लगता ख़िज़ाँ का मौसम है।
कभी देख आकर शब-ए-ग़म गुज़ारी है किस तरह,
तुम बिन चरागों की रौशनी भी लगती कम है।
इश्क की हर हद से गुज़र कर देखा...
बाहर में भी लगता ख़िज़ाँ का मौसम है।
कभी देख आकर शब-ए-ग़म गुज़ारी है किस तरह,
तुम बिन चरागों की रौशनी भी लगती कम है।
इश्क की हर हद से गुज़र कर देखा...