...

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यूंही लिखती रही।
कहानियां तो यूंही लिखती रही।
दिल में छुपी वो आस,
लबों से नहीं पर अपने अल्फाजों में जताती रही।
भूलती रही वो गुज़ारा कल,
और नई यादों को साथ लेके कदम से कदम बढ़ाती रही।
मिले ना अल्फाज कभी,
तो कभी रुकी मेरी कलम,
फिरभी दिल की आग को अल्फाजों में जोड़ती रही।
खो गई कभी खुद से,
तो कभी मिल गई खुद से,
इसी तरहा एहसासों को अल्फाजों में पिरोती रही।
कहीं अल्फाजों से तकरार हुई,
तो कभी खुदसे ही हार,
पर इसी लिखावटों में अपने ही खोए एहसासों से मिलती रही।
कहानियां तो यूंही लिखती रही।..


© quotes_lover1023