यूंही लिखती रही।
कहानियां तो यूंही लिखती रही।
दिल में छुपी वो आस,
लबों से नहीं पर अपने अल्फाजों में जताती रही।
भूलती रही वो गुज़ारा कल,
और नई यादों को साथ लेके कदम से कदम बढ़ाती रही।
मिले ना अल्फाज कभी,
तो...
दिल में छुपी वो आस,
लबों से नहीं पर अपने अल्फाजों में जताती रही।
भूलती रही वो गुज़ारा कल,
और नई यादों को साथ लेके कदम से कदम बढ़ाती रही।
मिले ना अल्फाज कभी,
तो...