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कुछ समय की बात है
#दूर
दूर फिरंगी बन कर घूम रहा कोई,
मन बंजारा कहता है ढूंढ रहा कोई;
वृक्ष विशाल प्रीत विहार कर रहा कोई,
मोह माया से लड़ रहा कोई
धन से अकड़ रहा कोई
सुंदर काया से संवर रहा कोई
मजबूरी में झुक रहा कोई
मन बंजारा कहता है ढूंढ रहा कोई
त्याग कर सब कुछ बिखर रहा कोई
निर्मोही होकर संत बन रहा कोई
जिम्मेदारियों के गठबंधन में कस रहा कोई
किसी को पराधीन देखकर हंस रहा कोई
मन बंजारा कहता है ढूंढ रहा कोई
© shivani jain
दूर फिरंगी बन कर घूम रहा कोई,
मन बंजारा कहता है ढूंढ रहा कोई;
वृक्ष विशाल प्रीत विहार कर रहा कोई,
मोह माया से लड़ रहा कोई
धन से अकड़ रहा कोई
सुंदर काया से संवर रहा कोई
मजबूरी में झुक रहा कोई
मन बंजारा कहता है ढूंढ रहा कोई
त्याग कर सब कुछ बिखर रहा कोई
निर्मोही होकर संत बन रहा कोई
जिम्मेदारियों के गठबंधन में कस रहा कोई
किसी को पराधीन देखकर हंस रहा कोई
मन बंजारा कहता है ढूंढ रहा कोई
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