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मायका और ससुराल
RAAJ PREEET

ससुराल से थक हार कर इठलाती कहाँ होंगी
जिनके होते नही मायके वाले वो जाती कहाँ होंगी
बातें जो PREEET जहन मे है वो बताती कहाँ होंगी
जख्म जो मिले है वो छुपाती कहाँ होंगी
जिंदगी बोझ लगती है जब साथ कोई न सहारा हो
प्यार मे टूटी लड़की कहती है अब PREEET प्यार न कभी दोबारा हो
जान से न कोई प्यारा हो जिना न हमे गंवारा हो
शायर कोई PREEET का दर्द से न गुजारा हो
आसमां की और देख कर सपने बहुत संजोये है
पिछे देखा तो है खाई आगे बहुत टोये है
रोये है अपने हालातों पर जज्बातों पर मुलाकातों पर
न कोई अपना मिला न पति का मिला प्यार
PREEET अब और क्या ही कहे हमे तो गई जिंदगी मार
कोन सुने पुकार कहानी का सार
ससुराल भी नरक से बदतर है लगता
किसको सुनाऊँ हकीकत अब
कहाँ से लाऊं कोई दीपक जगता
बातें...