...

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पीड़ा
छूटा जो ममता का साया
बाबा भी हुए पराए
घर आई सौतेली मां
गमों के बादल है छाए
आस भरी नज़रे
देखे जो बाबा का मुखड़ा
वो भी है नैन चुराए
इक-इक कर सब बन्धन टूटे
सबने है दामन छुड़ाए
मन में है पीड़ा अपार
कहो कन्हैया!
दासी तुम्हारी कैसे मुस्कुराए।
अंजली