...

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अब करो ना!
करते थे वातावरण से खिलवाड़ समझकर व्यापार
अब करो ना!
नदी नहरों में डाल रहे थे कूड़ा विश्वभर का पूरा
अब करो ना!
भगवान को करने खुश करते थे पूजा पाठ निरंकुश
अब करो ना!
मोटर गाड़ी पर भ्रमण किया करते थे प्रदूषण
अब करो ना!
बिना परवाह प्रकृति की चलाते थे अपनी संस्कृति
अब करो ना!
काट रहे थे निरंतर पेड़ बनाने को शहर ढेर
अब करो ना!
ना हुआ करता था वेट हो रहे थे जो लेट
अब करो ना!
खूब किया भ्रष्टाचार किया असहायों पर अत्याचार
अब करो ना!
घमण्ड, ईगो और अहंकार में ना किया था अलंकार
अब करो ना!
अमीरी-गरीबी और जात-पात जपा करते थे जो तुम पाठ
अब करो ना!
जो होगा...