...

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इंताज़र
प्रेम का इंताज़र करना‌ क्या गुनाह हैं गिरधर
खयाल में क्या तुमे रखना गुनाह हैं गिरधर
राधा के प्रेम का विस्तार
उनका तुम्हारे रंग में रंगने का आधार
बांसुरी की धुन पर दौड़े चले आने वाला प्यार
क्या गुनाह हैं गिरधर ।।

क्या गुनाह हैं गिरधर
तेरे संग साथी बन मीरा का श्रृंगार
दिवानी से कमली तक का पथवार
विष का पान
क्या गुनाह हैं गिरधर ।।

अगर यह गुनाह हैं गिरधर
तो आंसू तेरे भी आते होंगे
दर्द तुम भी समझते होंगे गिरधर ।।

क्या गुनाह , क्या गुनाह नहीं
तुमसे प्यार करते करते
मंजिल मिल जाने का आधार
ऐसा गुनाह , गुनाह नहीं है गिरधर ।।