...

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Pure love
हे सुनो ....
कभी निहारा है खुद को आईने में?
नही न ?
आओ मेरे पास बैठो ..
देखो तो मेरी आंखो में ,
क्या दिख रहा तुम्हे इक खुबसूरत चहरा ?
ये वही है जो मेरे लिए है गीता के समान ...
जिसे पढ़ते ही मिल जाते है हल,
मेरे जिदंगी के उलझे पहलुओं के सभी ।
अब थोड़ा और करीब आओ ..
क्या दिख रही तुम्हें इक खूबसूरत आंख?
ये आंखे पवित्र है गंगाजल के समान ....
जिसे छूते ही धूल जाते है ,
जिदंगी के पाप सभी ।

- कुछ बाकी है ।
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